एक वक़्त था,
जो बीत गया...
एक लम्हा सा था,
हंसकर गुज़र गया....
वक़्त न वो लौटकर आएगा,
अपनी याद दिलाएगा...
लौटकर जो आया तो,
जीवन के पंख खुल जायेंगे..
एहसासों के रंग ज़िन्दगी में,
फिर से घुल जायेंगे..
कहते हैं जीवन एक रेखा है,
आने वाला पल किसने देखा है....
मगर मै देखता जिस तरफ से,
कुछ अलग ही नज़ारा है...
आने वाले वक़्त का,
एक हल्का सा इशारा है...
वक़्त कभी ठहरता नहीं,
मगर घूम तो सकता है.....
दिल गुनगुनाता नहीं मेरा,
मगर मस्ती में झूम तो सकता है...
यकीं है मुझको,
ज़िन्दगी के घुमाव का...
आएगा वो एक जज्बा लेकर,
खुशनुमा वक़्त के ठहराव का...
समय का तो बस,
ऐसा ही फेरा है..
और एक बार फिर से,
खुशियों ने हमको घेरा है...
ये रात भी अब कुछ,
ज़्यादा गहरी हो चली है...
मगर देखा है मैंने उस पार,
होने ही वाला सवेरा है...
जल्द जमेंगी महफ़िलें,
फिर यारों का संग होगा....
इस बार कुछ ज़्यादा ही रंगीन,
ज़िन्दगी का रंग होगा......
इस बार कुछ ज़्यादा ही रंगीन,
ज़िन्दगी का रंग होगा.....